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Friday, May 13, 2022

किधर गई ?

 अभी हवा जो आई थी, वो किधर गई 

एक महक सी आई थी, वो किधर गई ?

यहाँ पर एक बस्ती सी हुआ करती थी 

आँखों को धोखा हुआ क्या, किधर गई ?

आईने में देखा था एक अक्स हसीन सा 

वो तस्वीर जो नक़्श हुई थी, किधर गई ?

पाया भी, खोया भी, फ़िर क्या हुआ था 

कुछ यादें तसव्वुर में थीं, वो किधर गईं?

लिखा, याद है, बहुत लिखा, पै एक दिन 

लिखा मिटा दिया, शगुफ़्तगी किधर गई ? 

कुछ दिल में कुछ आँखों में रखा करते हें 

वो सलीका रखने की बसीरत किधर गई ?

दरीचे में क़दम से चिलमन खिसकती थी 

आहट पहचानने  की वो ज़र्फ, किधर गई ?

रहबर बिन कैसे बढ़े राह, जब से फँस गई 

क़िस्मत के पासे में, राह न जाने किधर गई ?

सब कुछ सीखा था पट्टी पर, अब दिखता 

नहीं  गेरू कहीं , खड़िया जाने  किधर गई ?

जो सुना करता था  रबाबो बरबत की धुनें

 पैहम अब वो सज्जादे समाअत किधर गई ?

खनकती आवाज़ में तैरती सरेशाम की वो

सुरमई शरमाहट ओ मुस्कुराहट किधर गई ?

कभी क़ाबिल थे हम, पै अब क़ाबिल न रहे 

सब्र करने की हमारी  दरख़्वास्त किधर गई ?

रौशन थी ज़िंदगी और, मुझको ख़बर न थी 

अँधेरों से क्या पूँछूँ, मेरी परछाईं किधर गई ?

लड़ते थे बिना अस्लहा, वो सादगी चली गई 

किससे पूँछूँ जाकर , मेरी इबादत किधर गई ?

बहुत देर लगी समझने में क्या खो दिया मेंने 

वो जो आजाती थी देखके रौनक़ किधर गई ?

अभी चूँ चूँ करती चिकेडी आई  थी मेरे पास 

मेंने पूँछा, क्या हुआ, बसँती निदा किधर गई ? 

कहने लगी, मैं बच गई, समझो ये  ग़नीमत है 

मई का महीना है, गर्मी लेगई, और किधर गई ?


अक्स = image. नक़्श = imprint. तसव्वुर=कल्पना।

शगुफ़्तगी = आह्लाद । बसीरत = insight. ज़र्फ़ = skill.

रबाबो बरबत = lyres.  पैहम = लगातार ।निदा = call.

चिकेडी=chickadee.Its spring call is chickadee dee dee.

सज्जादे समाअत = सुनने की/का उपासक ।


ओम् शान्ति:

अजित सम्बोधि ।


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