अभी हवा जो आई थी, वो किधर गई
एक महक सी आई थी, वो किधर गई ?
यहाँ पर एक बस्ती सी हुआ करती थी
आँखों को धोखा हुआ क्या, किधर गई ?
आईने में देखा था एक अक्स हसीन सा
वो तस्वीर जो नक़्श हुई थी, किधर गई ?
पाया भी, खोया भी, फ़िर क्या हुआ था
कुछ यादें तसव्वुर में थीं, वो किधर गईं?
लिखा, याद है, बहुत लिखा, पै एक दिन
लिखा मिटा दिया, शगुफ़्तगी किधर गई ?
कुछ दिल में कुछ आँखों में रखा करते हें
वो सलीका रखने की बसीरत किधर गई ?
दरीचे में क़दम से चिलमन खिसकती थी
आहट पहचानने की वो ज़र्फ, किधर गई ?
रहबर बिन कैसे बढ़े राह, जब से फँस गई
क़िस्मत के पासे में, राह न जाने किधर गई ?
सब कुछ सीखा था पट्टी पर, अब दिखता
नहीं गेरू कहीं , खड़िया जाने किधर गई ?
जो सुना करता था रबाबो बरबत की धुनें
पैहम अब वो सज्जादे समाअत किधर गई ?
खनकती आवाज़ में तैरती सरेशाम की वो
सुरमई शरमाहट ओ मुस्कुराहट किधर गई ?
कभी क़ाबिल थे हम, पै अब क़ाबिल न रहे
सब्र करने की हमारी दरख़्वास्त किधर गई ?
रौशन थी ज़िंदगी और, मुझको ख़बर न थी
अँधेरों से क्या पूँछूँ, मेरी परछाईं किधर गई ?
लड़ते थे बिना अस्लहा, वो सादगी चली गई
किससे पूँछूँ जाकर , मेरी इबादत किधर गई ?
बहुत देर लगी समझने में क्या खो दिया मेंने
वो जो आजाती थी देखके रौनक़ किधर गई ?
अभी चूँ चूँ करती चिकेडी आई थी मेरे पास
मेंने पूँछा, क्या हुआ, बसँती निदा किधर गई ?
कहने लगी, मैं बच गई, समझो ये ग़नीमत है
मई का महीना है, गर्मी लेगई, और किधर गई ?
अक्स = image. नक़्श = imprint. तसव्वुर=कल्पना।
शगुफ़्तगी = आह्लाद । बसीरत = insight. ज़र्फ़ = skill.
रबाबो बरबत = lyres. पैहम = लगातार ।निदा = call.
चिकेडी=chickadee.Its spring call is chickadee dee dee.
सज्जादे समाअत = सुनने की/का उपासक ।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि ।
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