देखि दिनन कौ फेर रे, मति घबरावे तू
कहिके कान्हा सूँ व्यथा, बन बेफिकरा तू ।
दुनियाँ जाने है रची , वा ही वा को पीर
अपनो तो बस काम यो, जी भर खाओ खीर ।
होवे तो वाई सदा, जो चाहें रघुवीर
अपने तो बस में यही, चिंता भजें कि धीर।
सूरज उगताँ ही करो, दर्शन राजी होइ
दिन बीते सुख सूँ घँड़ो, व्यथा न होवे कोइ।
दिन में जब अवसर मिले, देखि लेउ आकाश
श्रद्धा सूँ करिलो नमन, कटि हें सिगरे पाश।
धरती कूँ करिके नमन, तब ही धरिओ पैर
वा ही माता आपणी, वा ही राखे खैर।
जिसको कहते शून्य सब, उसमें ही सब सार
सब कुछ उपजा शून्य से , ये ही सच्चा सार।
जानन कूँ इस जगत में, मात्र शून्य विज्ञान
शून्य बनन के वास्ते , धरो शाम्भवी ध्यान ।
चलते, फिरते, उठते, गिरते, दुश्कर नहीं यह काम
शम्भु जी की यह क्रिया , साधे सिगरे काम।
पँच तत्व को नमन करि, अपने ह्रदय सजाय
प्राप्य हेतु निवृत्ति को , सबसे सरल उपाय ।
चैस्ट ब्रीदिंग छोड़ के , बैली ब्रीदिंग कर
पूरी उम्र पाने को , ब्रीदिंग रेट कम कर ।
ॐ ॐ ॐ
पीर = master guide . धीर = धैर्य , धैर्यवान ।
बैली ब्रीदिंग = diaphragmatic breathing.
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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