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Wednesday, May 25, 2022

शासकीय दोहे

हम हैं शासक देश के, सब  ही जानें  याहि
जो चाहें हम करि सकें, हम कूँ डर है नाँहि।

शासन करने के लिये , हम रहते  स्मार्ट 
शासक उसको जानिये, पहले मारे डार्ट।

जनता हमको चाहती, हम जनता को चाहें 
हम करते हैं काज वही, जो जनता है  चाहे ।

जब लूऐं चलने लगें, करते  बिजली बँद
लोगो का  पैसा बचे, घर  में  हो  आनँद ।

देश  बचाने  के  लिये, बम  बनाते  खूब
जनता बड़ी सयानी है ,भूखी रहले खूब ।

अस्पताल में अगर जो, मिले न दवा अनमोल 
हो  जाता है  आप  ही , आबादी      कन्ट्रोल ।

ग्रीन हाउस की गैसें , बढ़ें  तो  बढ़ा  करें
जनता की हैं  फैक्टरी, कबहु न बँद करें।

प्रथ्वी की क्लाइमेट जब, हो जायेगी  चूर 
मँगल  पे  बसि  जाएँगे, चाहे जितनो  दूर।

हम शासक बेजोड़ हें, मानें न कबउ हार
क्रियेटर छिपतो फिरे, कबहु तो लेंगे मार।

स्मार्ट = smart. डार्ट = dart. क्रियेटर = creator.

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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