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Friday, June 3, 2022

समझ ले

जी भर के तू अपनी सी कर ले 
मनमानी तू  अपनी सी कर  ले 
कुछ भी हासिल न कर पायेगा 
कितनी  भी शोरिश तू  कर  ले।
नाकामियाँ  मुसल्सल   मिलेंगी 
सीने कितने भी चाक तू कर ले ।

ज़ुल्म चाहे तू जितने भी ढा  ले 
सीने छैनी तू कितने भी कर  ले
जाना    तो     तुझको    पड़ेगा 
कोशिश चाहे जितनी भी करले।
इन ज़ुल्मों से  एक दिन  नजात
पा जायेंगे, कुछ  भी  तू  कर ले।

तू ख़ुदको ख़ुदाही समझने लगा 
हुकूमत है ख़ुदकी समझने लगा 
ऐसी नादानी क्यों तू करने लगा 
कि मुर्दे को अमर समझने  लगा 
थोड़े दिन का ही खेल है ये सब
करले कुछ दिन का खेला करले। 

घास  का  पत्ता  बना  सकते हो?
छोटी  सी  चींटी  बना सकते हो? 
किस  बात  का गुमान करते हो?
हाँ  बहुत  कुछ  मिटा सकते हो
पर वो पागलपन है, समझते हो?
गुरूर को ताकत मत  समझ ले
गुरूर मिटा करता है,  समझ ले ।

तमाम चेहरों पे लगा मेकअप है 
समझता नहीं तू कब ब्रेकअप है 
ये तो  बता खाली हाथ जाने को
कितना बटोरेगा, कब शटअप है?
मलिक उल मौत घूस लेता  नहीं 
अभी वक्त है,  थोड़ी सीख ले ले।

शोरिश= उथल पुथल। मुसल्सल= लगातार।
चाक करना= फाड़ देना। मलिक उल मौत= यमदूत।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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