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Thursday, June 30, 2022

मुहब्बत के सिवा

लबों का काम है कहना, गुलों का काम है खिलना
नज़र का काम है हँसना, दिलों का काम है मिलना 
हमें   मालूम   है   हमको ,  क्या   काम  है   करना 
किसी से है अगर मिलना, मुहब्बत से ही है मिलना।

मुझे  उनसे  मुहब्बत  है , मुझे   इनसे  मुहब्बत  है 
ये  दुनिया  ख़ूबसूरत  है , मुझे   सबसे  मुहब्बत है 
मुहब्बत  तो वो दरिया है, जो  हरदम  बहा  करता
रब   की  ये  कुदरत  है  , मुहब्बत  से  मुहब्बत  है ।

परिन्दों  की तरह  गाना, परिन्दों  की तरह  उड़ना
जहाँ तक  भी  नज़र  जाए ,  सारा  जहाँ   अपना
मुहब्बत  से  बनी  दुनिया, मुहब्बत  से ही रहना है 
मुहब्बत में  ही जीना है, मुहब्बत ही  जहाँ  अपना ।

फ़िरकों में न बाँटें या रब , ये दुनिया  एक बस्ती है 
हम  इन्सान  हैं , इन्सानियत  की   एक  कश्ती  है 
हम  जो  बात  कहते  हैं, बिल्कुल  सीधी  साधी है 
मुहब्बत से ही जीने  दो , मुहब्बत  में   ही  मस्ती है ।

तुम  अपनी अदाओं  पर , इतना  फ़ख्र मत करना
जो दम भर का है उस पर, इतना नाज़  मत करना 
हमें मालूम  है अन्जाम, न  ख़ुद  बेज़ार  हो  जाना 
मुहब्बत के सिवा  ग़ैरत में , कुछ  और मत  करना।

या रब = हे ईश्वर। बेज़ार = दुखी। ग़ैरत= शर्म।

ओम् शान्ति: 
अजित सम्बोधि।

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