लबों का काम है कहना, गुलों का काम है खिलना
नज़र का काम है हँसना, दिलों का काम है मिलना
हमें मालूम है हमको , क्या काम है करना
किसी से है अगर मिलना, मुहब्बत से ही है मिलना।
मुझे उनसे मुहब्बत है , मुझे इनसे मुहब्बत है
ये दुनिया ख़ूबसूरत है , मुझे सबसे मुहब्बत है
मुहब्बत तो वो दरिया है, जो हरदम बहा करता
रब की ये कुदरत है , मुहब्बत से मुहब्बत है ।
परिन्दों की तरह गाना, परिन्दों की तरह उड़ना
जहाँ तक भी नज़र जाए , सारा जहाँ अपना
मुहब्बत से बनी दुनिया, मुहब्बत से ही रहना है
मुहब्बत में ही जीना है, मुहब्बत ही जहाँ अपना ।
फ़िरकों में न बाँटें या रब , ये दुनिया एक बस्ती है
हम इन्सान हैं , इन्सानियत की एक कश्ती है
हम जो बात कहते हैं, बिल्कुल सीधी साधी है
मुहब्बत से ही जीने दो , मुहब्बत में ही मस्ती है ।
तुम अपनी अदाओं पर , इतना फ़ख्र मत करना
जो दम भर का है उस पर, इतना नाज़ मत करना
हमें मालूम है अन्जाम, न ख़ुद बेज़ार हो जाना
मुहब्बत के सिवा ग़ैरत में , कुछ और मत करना।
या रब = हे ईश्वर। बेज़ार = दुखी। ग़ैरत= शर्म।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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