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Monday, July 18, 2022

बाहर vs अन्दर

बाहर में जिसको तू ढूँढ रहा है 
अन्दर में तुझको वो ढूँढ रहा है 
कैसे  मिलेगी वो  मन्ज़िल तुझे 
गलती जो हरदम दोहरा रहा है।

होने  को  तो  वो हर  शय में है 
बाहर  भी है  और अन्दर भी है 
अन्दर में जब तक मिलोगे नहीं 
बाहर  नज़र वो  आता  नहीं है।

जो कुछ  बाहर  तुम  देखते हो
अन्दर का अक्स तुम देखते हो 
ऐसा नहीं है  कुछ भी  यहाँ पर 
जिसमें न तुम उसको देखते हो।

बाहर की खोज  को बन्द करके 
मन  की  दौड़  को  बन्द  करके 
बैठे  रहो  अम्न  ओ  अमान  से  
पलकों को अपने तुम बंद करके।

बाहर सिर्फ़  थकान ही  मिलेगी 
मन को पेच ओ ताब ही मिलेगी 
सब्र  रख लो , इंतज़ार  कर  लो
मन्ज़िल  तो  भीतर   ही मिलेगी।

अम्न ओ अमान= सुख और शान्ति।
पेच ओ ताब= कश्मकश।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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