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Thursday, August 4, 2022

करिष्ये वचनं तव

अर्जुन बरबख़्त था , कन्हैया का दोस्त था 
रिश्ता था राब्ता था , बिलकुल  पैबस्त था
कन्हैया ने उसको जो बता दिया, गिराँ  था  
आगे आने वालों का अच्छा बन्दोबस्त था।

अर्जुन ने कहा था , मैं हर वक़्त याद रखूँगा 
जो मुझको बताया , वो कभी ना भुलाऊँगा 
बड़ी ग़लती की ख़ुद को बराबर का समझा
वो ग़लती, आदि देव, मैं फ़िर ना दुहराऊँगा ।

जो आज धारा बहाई, उसी में बहता रहूँगा 
न उससे बाहर जाके, कभी भटका करूँगा 
तुम्हीं हो ज़िन्दगी, तुम्हीं धारा , विश्वेश्वर
तुम्हीं हो किनारा मेरा, तुम्हें  पकड़े  रखूँगा।

अर्जुन का कहा  मुसल्सल  याद  रखना है 
ज़िन्दगी की धारा में  हमको बहते रहना है 
हम भी कुछ हैं , ये तो क़तई भूल जाना  है 
हर मोड़पे किनाया-ए-कान्हा याद रखना है।

बरबख़्त=भाग्यशाली। राब्ता=मेलजोल।
पैबस्त=जुड़ा हुआ।गिराँ=बेश क़ीमती।
मुसल्सल=निरंतर।
किनाया-ए-कान्हा=कान्हा का इशारा।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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