रिश्ता था राब्ता था , बिलकुल पैबस्त था
कन्हैया ने उसको जो बता दिया, गिराँ था
आगे आने वालों का अच्छा बन्दोबस्त था।
अर्जुन ने कहा था , मैं हर वक़्त याद रखूँगा
जो मुझको बताया , वो कभी ना भुलाऊँगा
बड़ी ग़लती की ख़ुद को बराबर का समझा
वो ग़लती, आदि देव, मैं फ़िर ना दुहराऊँगा ।
जो आज धारा बहाई, उसी में बहता रहूँगा
न उससे बाहर जाके, कभी भटका करूँगा
तुम्हीं हो ज़िन्दगी, तुम्हीं धारा , विश्वेश्वर
तुम्हीं हो किनारा मेरा, तुम्हें पकड़े रखूँगा।
अर्जुन का कहा मुसल्सल याद रखना है
ज़िन्दगी की धारा में हमको बहते रहना है
हम भी कुछ हैं , ये तो क़तई भूल जाना है
हर मोड़पे किनाया-ए-कान्हा याद रखना है।
बरबख़्त=भाग्यशाली। राब्ता=मेलजोल।
पैबस्त=जुड़ा हुआ।गिराँ=बेश क़ीमती।
मुसल्सल=निरंतर।
किनाया-ए-कान्हा=कान्हा का इशारा।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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