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Sunday, August 7, 2022

तज़मीन

                         1.
बहुत गई थोड़ी रही, वा  ऊ  बीती  जाय
नटनी सूँ नटवर कहे, ताल भंग मत लाय।
तज़मीन
मुँह से अब तक कोई ने, दई नहीं हँकार
कान  ढँके  बैठे सभी , ताल भई  बेकार।
                            2.
कहत कबीर सुनो भाई साधो 
साहिब मिले सबूरी में।
तज़मीन
द्रुपद सुता और गज कूँ तो  
साहिब मिले मजबूरी में।
                             3.
चलती चक्की देख के , दिया कबीरा रोय
दो पाटन के बीच में, साबित बचा न कोय।
तज़मीन
चलती चक्की देख के, हँसा कमाल ठठाय
कील सहारे जो रहे, ताहि काल नहिं खाय।

चलती चक्की देख के, देखा एक  कमाल 
पीसन हारी पिस  गई, बाकी करें  मलाल।
                           4.
रात गवाई सोय के, दिवस गवायो खाइ
हीरा जनम अमूल , कौड़ी  बदले जाइ।
तज़मीन
रात बितावें स्वाँग में, दिन बीतत है सोइ
ऐसे ठाठ कलजुग में , हर काहू के होंइ।
                           5.
माला फेरत जुग गया , मिटा न मनका फेर
करका मनका फेंक के, मनका मनका फेर।
तज़मीन
करका मनका, मनका मनका, सबहि दे बिसार
स्वासाँ  आवत  जात  कूँ , पल  पल  तू  निहार।
                           6.
धीरे  धीरे  रे  मना, धीरे  सब  कुछ  होय
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।
तज़मीन
फ़ास्ट अबकी ज़िन्दगी, फ़ास्ट अबका फ़ूड
फ़ास्ट   इन्टरनेट   से , बने   सबका    मूड।
                            7.
साईं इतना दीजिये, जामें कुटुम समाय
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय।
तज़मीन
साईं इतना दीजिए, हो जाऊँ मालामाल
साधू भी साधें माल , ऐसा  कर  कमाल।
                           8.
बड़ो भयो तो का भयो, जैसे पेड़ खजूर 
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।
तज़मीन
चुलिस्तान  में जहाँ, कोई न  दरख़्त  उगाइ
खजूर वहाँ भी पथिक ने देवत है फल लाइ।
                          9.
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न दीखा कोय
जो मन देखा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
तज़मीन
भला जो देखन मैं चला, बुरा न दीखा कोय
जो मन  देखा  आपना , मैं भी  बुरा न कोय।
                            10.
जग में  बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय
यहाँ आपा तो डाल दे , दया करे  सब कोय।
तज़मीन
बैरी तो  हम  आपणे , और  न  दूजा कोय
मन से गरब मिटाइ दो, सखा बने हर कोय।

तज़मीन= Parody. चुलिस्तान=रेगिस्तान।

शिव शम्भो
अजित सम्बोधि।


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