दिव्या के पापा, मेरे भैय्या, भारत से यहाँ पे आये हें
ढेरों सारी ख़ुशियों की, सौगात को संग में लाये हें।
भैय्या तेरा यहाँ पे आना, है जैसे ख़ुशियाँ बाँटते जाना
बस देते जाना देते जाना, यादें दिल की याद दिलाना।
सर्व प्रथम, सदैव, सर्वत्र, दिव्य दृष्टि को अपना कर
दिव्या प्यारी लेके आई, ज्ञान, ध्यान और प्यार का सागर।
पश्चिम में अमरीका आके, आलोक को संगी अपना बनाके
सम्मान की गागर पूरी भर दी, स्वयं ही सारा बीड़ा उठा के।
यहाँ रहें या और कहीं हम, पायें हर दम दुनिया की ख़ुशियाँ
भाई बहिन का प्यार हमारा, लाये हर दिन ख़ुशियों पे ख़ुशियाँ।
आओ सब मिलकर के यहाँ पर, ख़ुशियों का अम्बर फैलायें
नाचें गायें, धूम मचायें, हम ख़ुशियों की, दुनियाँ बन जायें।
जया कमल
( मेरी बहिना)
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