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Wednesday, February 26, 2025

शिव रात्रि 2025

 तुम अगर अपने शिव को पहचान लो 

शिव को मनाना ज़रा भी मुश्किल नहीं।

तुम अगर अपनी साँसों को पहचान लो 

शिव तक का सफ़र क़तई मुश्किल नहीं।


तुम अगर मानो तो उपवास  ज़रूरी नहीं 

तुम अगर जानो तो व्रत की  हुज्जत नहीं।

लम्बी दूरियाँ तय करना भी लाज़मी नहीं 

सच तो ये है वो तुम से, अलग है ही नहीं।


अपनी साँसों को समझने की कोशिश करो 

हाँ इनको पढ़ पढ़ कर आज़माइश तो करो।

साँसो की इबारत में एक अजब सा जादू है 

जब साँस थिर हो जाए, उसकी आस  करो।


शिव थिर हुआ शून्य बन गया, शुभ बन गया 

ख़ुद को मिटा दिया और वो शक्ति बन गया!

ख़ुद को मिटा लेना, समझ जाओगे कैसे वो 

शिव से शम्भो, तत्पश्चात, शाम्भवी बन गया!


शाम्भवी, अर्थात, सभी कुछ सम्भव हो गया 

जो असम्भव सा था वह भी सम्भव हो गया।

इस सृष्टि और स्रष्टा का दृश्य बदल गया 

जो ख़ुद को कर्ता कहता रहा, दर्शक हो गया!


 जय शिव शम्भो!

अजित सम्बोधि 

Friday, February 14, 2025

14 Feb 2025

 क्यों याद आती है 14 फ़रवरी 

हाँ जो हुआ करती थी रस भरी।

आज भी तो आगई है वो  मगर 

ये आँखें  क्यों हें यूँ, आँसू  भरी।


कैसे बीतते  हें ख़ुशबख्शी के दिन 

हज़ारहा दिन भी लगते हें एक दिन।

अब क्या बेड़ियाँ  पड़ गई  हें इनके 

बमुश्किल गुज़रता है एक एक दिन।


क्या दुनिया बनाई है ऐ मालिक तूने 

क्या है ऐसा जो न बनाया इसमें तूने।

क्या इतना हक़  नहीं हमें  जानने का 

क्यो छुपा के रख  लिया ख़ुद को तूने?


तू दिखता तो तुझसे फ़रियाद तो करते 

तेरे रूबरू दिल की  बातें तो बयाँ करते।

तुम तो ग़मख़्वार हो, हमे पूरा एतिबार है 

तेरे दरपेश  होते, हमें तग़ाफ़ुल  न करते।


ख़ुशबख्शी = ख़ुश क़िस्मती। हज़ारहा = हज़ारों।

बमुश्किल = मुश्किल से। ग़मख़्वार = हमदर्द।

दरपेश = रूबरू = सामने।तग़ाफ़ुल = ignore.


ॐ शान्ति:

अजित सम्बोधि 

Saturday, February 8, 2025

Happy Birthday Arunima!

 One more  year, one  year  more

We are again here, for to be sure!

Nice to hear the ringing bells again

I only blinked and found I was here!

Happy birthday to you Arunima!

Happy birthday to you Arunima!


We move on but what’s that moves on?

Put the finger on whatsoever moves on!

Can we do so? Is it at all possible to do?

As we age, don’t we say we’ve moved on?

Happy birthday to you Arunima!

Happy birthday to you Arunima!


Yes that which  moves on is  called our  age

We keep on gazing while all we do is to age!

You can count your age like rings on the tree

We are useful like a tree,  doubling as a sage!

Happy birthday to you Arunima!

Happy birthday to you Arunima!


Let’s  make  merry  and  dance  our  way 

Don’t curse or regret, just blink your way!

Whatsoever happens, happens for our good 

Just flow with the flow and sway and sway!

Happy birthday to you Arunima!

Happy birthday to you Arunima!


Bless you Arunima 

Nana 

Sunday, February 2, 2025

बसन्त पंचमी 2025

 बसन्त आ गया यानि कि बस अन्त आ गया!

अच्छा! भला  बताओ तो  किसका अन्त आ  गया?

 मुफ़्लिसी का  या कि फ़िर बे-इन्तिहाई नफ़रत का ?

क्या मज़्लूम का दौर ए बेहिसाई ख़त्म होने आ गया?


क्या निर्भया को लूटने मारने के दौर का अन्त आ गया?

क्या मणिपुर जैसी  नंगी परेड होने  का अन्त आ गया?

क्या वाक़ई सख़ाफ़त हार गया, सख़ावत  जीत  गया?

ऐसा दिन  जब  आयेगा, मैं माँन  लूँगा, बसन्त आ गया।


कुदरत ने अपना फ़र्ज़ बख़ूबी अपने वक़्त पे निभा दिया 

शिशिर की सर्द हवाओं को धीमा होने का हुक्म दे दिया।

क्या इन्सान भी  अपनी फ़ितरत में  तब्दीली ला पाएगा?

ताकि दिल पे हाथ रख के मैं कह सकूँ हाँ बसन्त आगया।


मुफ़्लिसी = ग़रीबी। बे इन्तिहाई = limitless.

मज़लूम = जिस पे ज़ुल्म किया जाता है।

दौर ए बे हिसाई = period of insensitivity.

सख़ाफ़त = ओछापन। सख़ावत = उदारता।

फ़ितरत = nature. तब्दीली = change.


ओम् शान्ति:

अजित सम्बोधि