मैं सोया करा रात भर, तुम साँस ढोया करे रात भर
कौन करेगा प्यार इतना तुमने किया है जैसा उम्र भर।
तुम्ही मेरा दाता
तुम्ही हो नियंता
तुम्ही मेरे करता
तुम्ही भवितव्यता
हर सुबह सूरज बनके उठाते रहे, अपने अंक में भर
कौन है सिवाय तुम्हारे ऐसा मददगार , हे विश्वम्भर।
तुम्ही हो मेरे रहबर
तुम्ही हो मेरे दिलबर
मैं रहता रहा बेख़बर
तुम रहे सदा ही मोतबर
मैं जो फ़क़ीर हूँ, क्या करूँ तुम पर मैं निछावर
एक तेरे नाम के सिवा कुछ नहीं पास, हे गुरुवर।
बना दो मुझे बे-ज़रर
करदो मुझे मुक़र्रर
अपना नामाबर
भेज दो मुझे दिसावर
ये जिस्म तुमने दिया, बना दो इसे यायावर
बख़्श दो ऐसा हुनर, गूँजता फिरूँ बनके भँवर।
रहबर = राह दिखाने वाला।दिलबर = प्रिय।
मोतबर = भरोसेमंद।बे-ज़रर = बुरा करने में अक्षम।
मुकर्रर = नियुक्त।नामाबर = डाकिया।
दिसावर = परदेस।यायावर = ख़ानाबदोश।
ओम जगतगुरूं नमामि
अजित सम्बोधि
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