सावन का महीना आगया, झूलों का मौसम आगया
ज़मींन महकने लग गई, आसमान चहकने लग गया।
सावन की बहारें आ गईं
गुमनाम बहारें छा गई
बौछारों की झड़ियाँ लग गईं
फुहारों की लड़ियाँ झूल गईं
पेड़ों पे निखार आ गया, रंगत में उछाल आ गया
पत्तों में खुमार आ गया, फूलों पे शबाब आ गया।
शम्स का तेवर पलट गया
हवा का मिज़ाज बदल गया
गुलशन जो सूख चला था
दुलहन के जैसा सज गया
बादल का ढंग बदल गया, घटा बनके आ गया
मौसम जो बदरंग था, रूमानी बन के आ गया।
अम्बर में परिन्दे छा गये
फ़िज़ाएँ बदलने आ गये
सुनसान पड़ी हवाओं में
चहचहाहट ले के आ गये
सावन क्या आ गया, नया मज़मून लेके आ गया
हर इन्सान के चेहरे की, इबारत बदलने आ गया।
गुमनाम = unknown. ख़ुमार = intoxication.
शबाब = तरुणाई। शम्स = सूरज। गुलशन = चमन।
रूमानी = romantic. मज़मून = मूल लेख, मुख्य बात।
इबारत = इमला, script.
ओम शान्ति:
अजित सम्बोधि
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