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Saturday, July 12, 2025

सावन आ गया

सावन का महीना आगया, झूलों का मौसम आगया 

ज़मींन महकने लग गई, आसमान चहकने लग गया।


सावन की बहारें आ गईं 

 गुमनाम बहारें  छा गई 

 बौछारों की झड़ियाँ लग गईं 

 फुहारों की लड़ियाँ झूल गईं 

पेड़ों पे निखार आ गया, रंगत में उछाल आ गया 

 पत्तों में खुमार आ गया, फूलों पे शबाब आ गया।


शम्स का तेवर  पलट गया 

हवा का मिज़ाज बदल गया 

गुलशन जो सूख चला था 

दुलहन के जैसा सज गया 

 बादल का ढंग बदल गया, घटा बनके आ गया 

मौसम जो बदरंग था, रूमानी बन के आ गया।


 अम्बर में परिन्दे छा गये 

 फ़िज़ाएँ बदलने आ गये 

सुनसान  पड़ी हवाओं में 

चहचहाहट ले के आ गये 

 सावन क्या आ गया,  नया मज़मून लेके आ गया 

 हर इन्सान के चेहरे की, इबारत बदलने आ गया।


 गुमनाम = unknown. ख़ुमार = intoxication.

 शबाब = तरुणाई। शम्स =  सूरज। गुलशन = चमन।

रूमानी = romantic.  मज़मून = मूल लेख, मुख्य बात।

इबारत = इमला, script.


ओम शान्ति:

अजित सम्बोधि 

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