सावन को दिल दे दिया, सावन ने दिल दे दिया
मौका मुहब्बत का हमें, फ़िर मौसम ने दे दिया।
ये सौदा बुरा नहीं है
कोई ख़फ़ा नहीं है
बेहद तपिश थी गो
नतीजा बुरा नहीं है
ये राज़े मुहब्बत है आ आ के बचा दिया
दस्तूरे फ़लसफ़ा ने किरदार निभा दिया।
बैठा था कब से ग़मगीन
अश्कों के सागर में लीन
बारिश की झड़ी लगाकर
आब ए चश्म उठा लिया
मनभावन है ये सावन, मैंने दीदार कर लिया
जो तसव्वुर में था मेरे, रूबरू कर लिया।
ये सावन बड़ा आला
जैसे पूरा भरा प्याला
गरमी से देता राहत
जैसे भूखे को निवाला
बादल को मुहब्बत है, ज़मीं को भिगो गया
सावन को मुहब्बत है, फ़िर मिलने आ गया।
गो = यद्यपि। किरदार = role. आब ए चश्म = आँसू।
दीदार = दर्शन। तसव्वुर = कल्पना। रूबरू = सामने।
ओम शान्ति:
अजित सम्बोधि
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