ये अरावली की वादियाँ हैं
यहाँ वीथियाँ हैं कुंजगलियाँ हैं
लहराती पगडंडियाँ हैं
भूलभुलइयाँ नहीं है।
ऊँची ऊँची चोटियाँ हैं
भेड़ें हैं भेड़वालियाँ हैं
छोटी छोटी मींगड़ियाँ हैं
पेस्टिसाइड वाली नहीं हैं।
ग़ुलज़मीं है रानाइयाँ हैं
कलियाँ हैं फुलझड़ियाँ हैं
अन्ना हैं पॉलीअन्ना हैं
दोनों की गलबहियाँ हैं।
ये सावन की फुहारें हैं
कुछ मचलती बहारें हैं
मेरी नज़रों के नज़ारे हैं
पसन्द आयें तो सबके हैं।
ग़ुलज़मीं = फूलों की क्यारियाँ।
रानाइयाँ = सजावटें।अन्ना = शालीनता।
पॉलीअन्ना = ख़ुशमिजाज़ वाली।
ओम शान्ति:
अजित सम्बोधि
No comments:
Post a Comment