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Saturday, August 9, 2025

राखी का बन्धन

 ये बन्धन बड़ा  अनूठा, इसको कहते  रक्षा बन्धन 

राखी बनी कबीर की साखी, सजाने को ये बन्धन।


इक धागा बन जाता कंगन 

रिश्तों में भर देता स्पन्दन 

बहना को अपने भैय्या में  

मिल जाते हें अदितिनन्दन!


 कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं 

जो रब के बनाए होते हैं 

 वे बेहद अनुपम होते हैं 

मधुरम से मधुरम होते हैं।


भाई और बहिना का  नाता 

एक फर्राता हुलसाता नाता 

सावन की पूनम के दिन वो 

रक्षाबन्धन  बन  कर  आता।


हर बहना अपने भैय्या को राखी की याद दिलाती है 

हाथ में धागा बाँधती है, माथे पर तिलक लगाती  है।


 साखी = साक्षी, गवाह।


सबको रक्षा बन्धन की बधाई 

अजित सम्बोधि 

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