Popular Posts

Total Pageviews

Friday, December 5, 2025

एक गुज़ारिश है

 मुझे कुछ कर तो लेने दो 

मुझे यूँ लुटने भी तो दो 

तुम तो हो ग़ैबी हाँ 

हाँ तुम तो हो ग़ैबी हाँ 

हाँ हाँ तुम तो हो ग़ैबी कन्हाई 

मुझे भी रूह बनने दो।

मुझे कुछ कर तो लेने दो 

मुझे कुछ लुट तो लेने दो।


 तुम्हें पाने की हसरत में 

मुझे कुछ खो तो लेने दो 

हाँ मुझे कुछ खो तो लेने दो 

ये जिस्म ले लो वापस 

हाँ हाँ इसे ले लो वापस 

मुझे भी रूह बनने दो 

या तो तुम जिस्म लेके आओ 

वरना मुझे भी रूह बनने दो।

मुझे कुछ कर तो लेने दो 

मुझे यूँ लुटने भी तो दो 

तुम तो हो ग़ैबी कन्हाई 

मुझे भी रूह बनने दो।


कितने सावन बीत गये 

पर तुम फ़िर भी नहीं आये 

आँखें सावन बन बन हारीं 

झूले सूने सूने रह गये 

मैं बन गया यायावर 

तुम तो रहे ग़ैबी 

मुझे आश्कारा बना दिया 

हटा लो ये जिस्मानी चादर 

मुझे अब रूह बनने दो 

मुझे अब रूह बनने दो।


ग़ैबी = invisible. यायावर = फक्कड़।

आश्कारा = visible, जिस्मानी।


रहनशीं रहरौ 

अजित सम्बोधि 

No comments:

Post a Comment