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Wednesday, January 1, 2025

नया साल 2025

वो पूँछते लगे हमसे, नया क्या हो रहा है 

हमने कहा ये उनसे नया साल आ रहा है।


नया साल आ रहा है, नया वक़्त आ रहा है 

ख़ुशियाँ जो थीं पुरानी, उनको भी ला रहा है।


ये ठंड क्या करेगी, नया सूरज निकल रहा है 

समझ लो ठंडे जिस्म में गर्म साँस बह रहा है।


सूरज से मिला आज, लगा वक़्त थम रहा है 

इतनी गरमजोशी थी, लगा दरिया बह रहा है।


बादल आते जाते हें, आसमान मौजूद रहा है

साल बदलते हें, पुर-ऐहसास मसल्सल रहा है।


गुनगुनाता हुआ वो नया साल चला आ रहा है 

अन्दर एक समन्दर गूँज बन के बहा आ रहा है।


ये हक़ीक़त है कि हर वक्त बदलाव आ रहा है 

हम समझें, न समझें, हर वक्त नया हो रहा है।


जिस दिन देख पाएँगे कि मन मन्सूख़ हो रहा है 

असल में समझ पाएँगे कि नया साल आ रहा है।


कभी फ़ुर्सत हो तो झाँक लेना अंदर जो हो रहा है 

वहाँ जश्न  हो रहा है, अलख  जगाया  जा  रहा है!


पुर-एहसास= super consciousness. 

मसल्सल = perpetually.

मन्सूख़ = disband.


नए साल की शुभ कामनाएँ 

अजित सम्बोधि।

New year 2025

 Let  us  find  a  gong

And give to us a song.

Ding dong Ding dong

Ding dong Ding dong.


Let’s  ring in  the song

&  ring out  the  wrong.

Ding dong  Ding dong

Ding dong   Ding dong.


A  new  sun  is   rising 

A new morn is singing.

Ding dong Ding  dong

Ding dong  Ding  dong.


The  breeze  is  brisky 

The    gong   is    tipsy.

Dina dong Ding dong

Ding dong  Ding dong.


It’s a happy rappy new year

It’s near  It’s  here  It’s  dear.

Ding dong Ding dong

Ding dong Ding dong


Wish everyone a happy new year!

ajit sambodhi