Popular Posts

Total Pageviews

Wednesday, January 27, 2021

लौ !

जो बीत गया, वह गत है
जो बचा, वह अनागत है।
दोनों के मध्य में गमत है
उसे पा लेना, अज़मत है।
वहीं पर गति को विराम
मन को अविरत विश्राम।
इंसान की जो हिक्मत है
उसी से , ख़ुशकिस्मत है।

मध्य में मख़्फ़ी ख़ते अमूद
उसी में मौजूद है वो ख़ुलूद
उस ख़त• के सहारे उतरें तो 
मिला करेगी मंज़िले मक़्सूद
वहां न तेल न बाती न दीपक
बस 'लौ' है , देखिए अपलक !
'लौ' से जैसी होएगी , निस्बत
वैसी रब से हो जाएगी रग़बत।

गमत= रास्ता। अज़मत= गौरव।
मख़्फ़ी= अद्रष्य। ख़ते अमूद= खड़ी रेखा।
ख़ुलूद= नित्यता। मंज़िले मक़्सूद= goal.
निस्बत= nearness. रग़बत= लगाव।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।






No comments:

Post a Comment