अभी तक पहिले सवाल का जवाब हमने नहीं दिया।
आपने दूसरा दाग दिया। एक बच्ची ने पूछा था कभी
आप कौन हैं? देखिए न, अब तक जवाब नहीं दिया।
अब मैं न पूछ पाऊँगा कि आप कैसे हैं
क्योंकि चेहरे से आप पहले ही जैसे हैं
अंदर का हाल जानने के लिए मुझको
बनना पड़ेगा वैसा ही कि आप जैसे हैं।
मेरे ख़्याल में अच्छा हो ख़ामोश हो जाऐं
पुरसकून होकर के दमकशी में बैठ जाऐं
इस तरह कुछ अच्छी गुफ़्तगू हो जायेगी
मुमकिन है कि नज़ात ए ख़्याल हो जाऐं।
अगर ख़्यालात से नज़ात मिल गई
तो लगेगा कि एक सौगात मिल गई
सभी कुछ तो ख़ुद ब ख़ुद हो रहा है
समझिए हमें अना से छुट्टी मिल गई।
पुरसकून= शांति से परिपूर्ण। दमकशी= मौन।
गुफ्तगू= बातचीत। नज़ात ए ख़्याल= विचार मुक्ति।
अना= अहं भाव ( कर्ता भाव)
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
No comments:
Post a Comment