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Tuesday, July 27, 2021

ठीक है। पुनश्च ।

अजनबी बन कर के रहना अब ठीक है
किसी को तक़लीफ न हो, वही ठीक है।

बातें तो बेइंतहा हैं करने के लिए, ज़ेहन में
जिससे कर सकता, वो चला गया, ठीक है?

दीवानगी को समझने को दीवाना चाहिए
दुनियादारी में तो सभी माहिर हैं, ठीक है?

दुआओं में भी बरकत होती है, साहिब
दिल से दुआएं मिल जाएं, वही ठीक है।

ख़ामियाँ भी कुछ कम तो नहीं हैं मुझमें
ख़ुदा का बंदा ही हूँ, ख़ुदा नहीं, ठीक है?

कुछ हैं समझ नहीं पाते , कुछ भुला नहीं पाते
वैसे सब कुछ ज़रूरत के मुताबिक है, ठीक है?

बतरस और समरस की अच्छी जुगलबंदी है
सीमा पार हुई, समरस घट जाता है, ठीक है?

मध्यम मार्ग ठीक है जो बुद्ध ने बताया हुआ है
कब मध्य रेखा लाँघ दी, इसमें पेच है, ठीक है?

लोग सवाल दाग देते हैं, बड़े एतमाद के साथ
मैं शरमा जाता हूं, जैसे ख़तावार हूँ , ठीक है?

मैं तो ग़लतियाँ करता रहता हूँ अक्सर, ठीक है?
तेरी तो फ़ितरत में है माफ़ करते रहना, ठीक है?

ये बादल हैं, गोया आसमान में झूले लटके हैं
आख़िर महीना सावन का जो ठहरा, ठीक है?

चाहता हूँ ऐसे चलूँ, कोई पीछे न छूट जाए
अगर कोई आगे निकल जाए तो, ठीक है।

मैंने कब वक़्त का साथ निभाया था कभी
अब वक़्त ने मेरा साथ नही दिया, ठीक है।

कभी भी गले लगा लेता हूँ रूठे हुओं को
बचपन अभी बदस्तूर क़ायम है, ठीक है?

मैं तो एक ज़र्रा हूँ, ख़ुद से उड़ नहीं पाता
मर्ज़ी है हवा की, जिधर ले जाए, ठीक है?

यहाँ नफ़रत का काम नहीं, ज़िंदगी मुहब्बत
से शुरू हुई, मुहब्बत पे ख़त्म होगी, ठीक है?

पेड़ के मुरीद हो जाएं, न गुरू न गीता और
न ही तीर्थयात्रा की दरकार होगी, ठीक है?  

सच से बोलना नहीं आता, तड़ातड़ बोल देता है
झूठ में भूमिका बोलती है, मुस्कुरा कर, ठीक है?

एतमाद= विश्वास। मुरीद= अनुगामी।

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।

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