Popular Posts

Total Pageviews

Monday, March 28, 2022

बच्चा बन जाओ।

 समझदार  लोग  क़िस्मत से  मिला  करते हें 

वो चेहरे पर लिखी इबारत पढ़ लिया करते हें।


मासूमियत से भरे , सम्हल कर  चला  करते  हें 

रास्ता नहीं बदलता, वो ख़ुदको बदला करते हें।


वो सादगी पसन्द अक्सर अकेले मिला करते हें 

वो कसर हो या कसरत, शादमान रहा  करते हें।


कभी भीड़ में ख़ुद को देखना, देखोगे अकेले हो 

वैसे सभी अकेले हें , बस शोर मचाया करते हें।


कभी बनना पड़े तो बस  एक बच्चा बन  जाना 

दौड़ के दौर में होशियार तो सभी बना करते हें।


बच्चा बन कर रहोगे तो उल्फ़त से वास्ता रहेगा 

होशियार लोग उल्फ़त में नफ़रत ढूँढा करते हें।


लताफ़त हो या शराफ़त, कम ही नज़र आती है 

होशियार लोग इसमें  आफ़त को  ढूँढा  करते हें। 


हाँ तिफ़्ल मिज़ाज होगे तो धोखे तो मिलेंगे मगर 

फ़रिश्ते भी ऐसे वक़्त में ही दस्तक दिया करते हें। 


वो पचास साल के हें, बच्चे हें, खुरपी से खेलते हें 

मिट्टी खोदते हें, धूपके शरर चेहरे पे झेला करते हें।


फूल खिलते हें, रंग भरते हें, सजता है उनका चमन 

दुआऔँ के फूल मगर उनके चेहरे पे खिला करते हें।


मुहब्बत बस हो जाती है, ऐसा जानकार कहा करते हें 

चाहे फूल हों या  कुछ और, बस रब को ढूँढा  करते हें।


अगर  रमना है तो रब के रंग में क्यों ना रमा लें ख़ुद को

ख़ुद की सताइश में तो अहले जहान ख़ूब रमा करते हें।


शादमान = प्रसन्न चित्त। उल्फ़त = मुहब्बत।रब = ईश्वर।

कसर या कसरत = कम या ज़्यादा। लताफ़त = कोमलता।

तिफ़्ल मिज़ाज = बच्चे जैसा स्वभाव। शरर = spark(s).

सताइश = तारीफ़। अहले जहान = दुनिया के लोग।


ओम् शान्ति:

अजित सम्बोधि।








No comments:

Post a Comment