Popular Posts

Total Pageviews

Monday, November 23, 2020

हवा

ये हवा है कि मुझको हरवक्त ही छेड़ती रहती है
कभी सिर को तो कभी चेहरे को छूती रहती है
उसकी चुहलबाज़ी मुझे बख़ूबी भाया करती है
जब छुट्टी मनाती है तो मुझे बेचैनी सी रहती है।

ये बेहद घुमक्कड़ है, जगह जगह घूमा करती है
फ़िर मेरे पास आकर सारी ख़बरें दिया करती है
कभी फुलझड़ी फ़टाकों की गंध लाया करती है 
कभी सब्ज़ी छुकने की महक, सुंघाया करती है।

•इंतिख़ाबात के वक्त, सब हवा को ही देखा करते हैं
हवा का रुख़ किसकी तरफ़ है ग़ौर से देखा करते हैं
कौन उम्मीदवार हवा हो रहा, किसकी हवा निकली
°माहिरे कामिल ये सब नज़रें गढ़ा कर देखा करते हैं।

कुछ उम्मीदवार समां बांधते हैं, हवा भी बांध देते हैं
जो मुकाबले में होते हैं , उनकी हवा बंद कर देते हैं
अब ग़ौर कीजिए , हवा बंद हो जाए तो क्या होगा
ऐसे हालात में हम तो हवाख़ोरी के लिए चल देते हैं।

हवाख़ोरी भी जनाब क्या ही मज़ेदार हुआ करती है
हवा खाइए, हवा पीजिए, हवा हवाई हुआ करती है
चाहे कितनी भी खपत कीजिए, इस्तमाल कीजिए
कुछ फ़र्क़ नहीं होता, हवा तो फ्री में हुआ करती है।
• चुनावों ° विशेष विशेषज्ञ

ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।


No comments:

Post a Comment