उसका घोड़ा था सुंदर हिरण्यमय
एक दिन उसका घोड़ा भाग गया
उसके पड़ोसी जो थे बड़े सहृदय।
आये जताने को उससे सहानुभूति
किसान था शान्त, बिना अनुभूति।
दूसरे दिन घोड़ा उसका लौट आया
साथ में एक घोड़ा भी लेकर आया
पड़ोसी भाग के आये, ख़ुशी जताने
बड़ा उम्दा घोड़ा है, साथी ले आया।
किसान के लिए जैसे कुछ हुआ नहीं
वह ख़ामोश रहा, कुछ बोला ही नहीं।
नया घोड़ा किसान के बेटे को भा गया
एक दिन वह उसकी पीठ पर चढ़ गया
घोड़ा उसको लेकर जंगल में भाग गया
वहाँ उसे गिरा दिया,बेटे का पैर टूट गया।
गाँव वाले फ़िर आये, भारी दुःख मनाया
किसान शाँत था,पैरपे मरहम लगा दिया।
अगले दिन कुछ सैनिक अधिकारी आये
हर घर से जवान लड़कों को उठा ले गये
किसान के बेटे का पैर टूटा हुआ देखकर
उसको वहीं छोड़कर अधिकारी चले गये।
गाँव वाले आये, बोले, तुम अच्छे बच गये
उसने कुछ न कहा और तब वो चले गये।
आगे क्या होगा, किसी को कुछ पता नहीं
अच्छा होगा अथवा बुरा, यह भी पता नहीं
वक़्त के हाथों में रहती है जीवन की चाबी
जैसे घुमाए, जो परोसे, उसको नकारें नहीं।
शान्त रहकर आगे ही आगे को चलते चलें
शान्ति से शान्ति के सब्र को सँजोते चलें।
ओम् शान्ति:
अजित सम्बोधि।
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